AHSEC Class 12 ' Hindi : Chapter-7 रूबाइयाँ (rubaiyan) | Summary & Important Questions Answers | Assam 12th Board Solutions

3. रूबाई किसे कहते है ? उत्तर: रुबाई उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली है, जिसमें चार पंक्तियां होती है। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक म

Rubaiyan class 12 Hindi solution
Class 12 Hindi Rubaiyan Questions Answers

रूबाइयाँ

फ़िराक गोरखपुरी


कवि परिचय
फ़िराक गोरखपुरी का जन्म 28 अगस्त सन् 1896 में गोरखपुर उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनका मूल नाम रघुपति सहाय 'फिराक' हैं। इनके शिक्षा की शुरुआत रामकृष्ण की कहानियों से हुआ। इसके पश्चात् इन्होंने अरबी, फारसी और अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त की। सन् 1917 में डिप्टी कलेक्टर के पद पर नियुक्त हुए। परंतु स्वराज आंदोलन के कारण उन्होंने पद-त्याग कर दिया। सन् 1920 में उन्हें डेढ़ साल के लिए जेल भी जाना पड़ा। फ़िराक गोरखपुरी ने परंपरागत भावबोध तथा शब्द भंडार का उपयोग करते हुए उर्दू शायरों को नयी भाषा और नए विषयों से जोड़ा। फ़िराक गोरखपुरी को कई सम्मानों से सम्मानित किया गया जिसमें गुले-नग्मा के उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार ज्ञानपीठ पुरस्कार तथा सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड प्रमुख है। इनका निधन सन् 1983 में हुआ। महत्वपूर्ण कृत्तियां: गुले-नग्मा, बज्मे जिंदगी, रंगे-शायरी, उर्दू गजलगोई।

प्रश्नोत्तर
1. शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता है ?

उत्तर: शायर कहते है कि रक्षाबंधन एक मीठा तथा पवित्र बंधन है। रक्षाबंधन के कच्चे धागों पर बिजली के लच्छे लगे हुए हैं। सावन में रक्षाबंधन आता है। सावन का जो संबंध झीनी घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से है, वहीं संबंध भाई का बहन से है।

2. टिप्पणी करें

क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।

उत्तर: माँ अपने बच्चे को चाँद से तुलना करती हैं। गोदी के चाँद और गगन के चाँद में काफी गहरा रिश्ता है। गगन का चाँद एक मनलुभावन खिलौना है। उन गोदी के चाँद के लिए जो छत पर चटाई बिछाकर सोते हैं। यह खिलौना हैं, उन बच्चों के लिए जिनके माता पिता दूसरे खिलौने महँगे होने के कारण उन्हें नहीं दिला पाते। उनके जीवन में भले ही महँगे खिलौने न हो पर वे चंद्राभ रिश्तों के मर्म समझते हैं। वे

ख) सावन की घटाएँ व रक्षाबंधन का पर्व ।

उत्तर: रक्षाबंधन का पर्व सावन के महीने में आता है। सावन के महीने में आसमान में हल्के-हल्के बादल दिखाई देते है तथा बिजली चमकती हैं। अतः सावन का जो संबंध झीनी घटा से है, घटा का जो संबंध बिजली से वहीं संबंध भाई का बहन से है।

Class 12 Hindi Mil Rubaiyan Questions Answers

3. रूबाई किसे कहते है ?

उत्तर: रुबाई उर्दू और फारसी का एक छंद या लेखन शैली है, जिसमें चार पंक्तियां होती है। इसकी पहली, दूसरी और चौथी पंक्ति में तुक मिलाया जाता है, तथा तीसरी पंक्ति = स्वच्छंद होती है।

4. फ़िराक गोरखपुरी का मूल नाम क्या हैं?

उत्तर: फ़िराक गोरखपुरी का मूल नाम रघुपति सहाय फ़िराक है।

5. फ़िराक गोरखपुरी को किस रचना के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था ?

उत्तर: गुले-नग्मा के लिए फिराक गोरखपुरी को साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।

6. माता अपने बच्चे को किससे तुलना करती है ?

उत्तर : माता अपने बच्चे को चाँद से तुलना करती है।

7. बालक अपनी माता से किस वस्तु के जिद करता है ?

उत्तर: बालक अपनी माता से चाँद को खिलौना समझकर उसे पाने की जिद करता है।

8. राखी के लच्छे किसकी भांति चमक रहे थे ?

उत्तर: राखी के लच्छे बिजली की भांति चमक रहे है।

9. किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो ले हैं - इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा कीजिए । 

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियों में शायर ने किस्मत का उनके साथ तनातनी को जो रिश्ता हैं, उसकी अभिव्यक्ति की है। वे कहते हैं कि वे और उनकी किस्मत को एक ही काम मिला हैं। कभी किस्मत उन पर रो लेती हैं, और कभी वे अपनी किस्मत पर रो लेते है।

10. फ़िराक गोरखपुरी के इन गजलों में किनके गजलों की झलक मिलती है ? 

उत्तर: शायर मीर के गजलों की झलक मिलती है।

11. मीर कौन है ?

उत्तर: मीर उर्दू शायर है।

12. मीर का पूरा नाम क्या है ?

उत्तर: मीर का पूरा नाम मीर तकी मीर था।

13. नौरस से भरी पंखुड़ियां क्या कर रही है ?

उत्तर: नौरस से भरी पंखुड़ियाँ अपनी गिरहें खोल रही है
Class 12 Hindi Rubaiyan Notes

14. रिंदो को प्रिय की याद कहाँ आती है?

उत्तर: रिंदो को प्रिय की याद शराब की महफिल में आती है।

15. फ़िराक गोरखपुरी किस पर सदके जाते है?

उत्तर: फ़िराक गोरखपुरी बेहतरीन गजलों पर सदके जाते है।

व्याख्या कीजिए

1. आँगन में लिए.................बच्चे की हँसी।

उत्तर : शब्दार्थ टुकड़े हिस्सा लेन देना उछाल उछाल कर प्यार करने की एक क्रिया। 
अर्थ : कवि कहते है कि माँ अपने चाँद के टुकड़े को यानी अपने बच्चे को आँगर लिए खड़ी है। वह कभी अपने चाँद के टुकड़े को हाथों पर झुलाती हैं, तो कभी उसे अबि गोद में भर लेती हैं। रह-रह कर वह अपने बच्चे को हवा में उछाल-उछाल उसे प्यार के रा है। जिससे उसके बच्चे की हँसी, उसकी खिलखिलाहट चारों ओर गुँज उठती हैं। क

2. नहला के छलके............ पिन्हाती कपड़े।

उत्तर : शब्दार्थ : नहला- नहा-धुला कर, गेसुओं केश, घुटनियों घुटनें, फिर - पहनाना।

अर्थ: कवि कहते है कि माँ अपने बच्चे को निर्मल जल से नहलाती हैं। उसके अ हुए बालों में कंघी कर उसे सुलझा देती है। जब माँ अपने घुटनों पर लिटाकर बच्चे कपड़े पहनाती हैं, तो बच्चा बड़े ही प्यार से अपनी माता के मुखड़े को देखता है। की देती
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3. दीवाली की शाम............जलाती है दिए।

उत्तर : शब्दार्थ : चीनी चीनी मिट्टी, मुखड़े मुख, पै-पर, इक-एक, घरौंदे - दिए दीया, दमक चमक।
अर्थ: कवि कहते है कि दिवाली की शाम है, घर को सजाया गया है। चीनी मिल बने हुए खिलौने भी चारों ओर जगमगा रहे है। उस दिवाली की शाम अपने रुपवती मु पर एक नर्म चमक लिए हुए माता अपने बच्चे के घर में दिए जलाती हैं। उसके घर को से रोशनी प्रदान करती है।

4. आँगन में ठुनक में..….........उत्तर आया है।
उत्तर: शब्दार्थ: जिदयाया- जिद करना हई है ही, पैपर।
अर्थ: कवि कहते है कि बच्चा आँगन में बैठे हुए जब चांद को देखता है तो उसे खिलौना समझकर उस पर ललचा जाता हैं। उस चाँद को पाने की जिद में ठुनकता है माता उसे बहलाने के लिए उसके सामने एक आईना रखकर कहती है, इस आईने र चाँद उत्तर आया है। यानी वह बच्चे को चाँद से तुलना करती है। से हते खी

5. रक्षाबंधन की सुबह..…........ चमकती राखी ।
उत्तर : शब्दार्थ घटा बादल, लच्छे राखी।
अर्थ: कवि कहते है, रक्षाबंधन एक मीठा बंधन है। रक्षाबंधन के कच्चे धागों पर बिजली के लच्छे है। रक्षाबंधन की सुबह आसमान में हल्की-हल्की बादल छाया हुआ है। राखी के कच्चे धागे भी बिजली की तरह चमक रहे है। रस की पुतली बहन अपने भाई के कलाई पर बिजली की तरह चमकती राखी बाँधती है।

6. आँगने में लिए.......उलबच्चे की हँसा।
 
उत्तर प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक 'आरोह' (भाग-2) के हरुबाईयाँ' से ली गई है। इसके शायर है फ़िराक गोरखपुरी।
काव्य खंड के प्रस्तुत पंक्तियों में शायर एक माता के माध्यम से वात्सल्या वर्णन कर रहे है। शायर कहते है कि एक माता जो अपने बच्चे को अपनी गोदी में लेकर विभिन्न प्रकार की क्रिया कर उसे प्यार करती है। अपने हाथों में लिए अपने चाँद के टुकड़े को कभी झुला देती है, तो कभी उसे गोद में भर लेती हैं। रह-रह वह बच्चे को हवा में उछाल देती है, जिससे बच्चे की खिलखिलाती हँसी चारों ओर गुँज उठती है।

विशेष :
क) यहाँ शायर ने वात्सल्य वर्णन किया है।
ख) 'रह-रह' यहाँ पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग हुआ है।
ग) भाषा सहज सरल है।
घ) माता अपने बच्चे को चांद से तुलना करती है।

7. रक्षाबंधन की सुबह चमकती राखी।

उत्तर : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक 'आरोह' (भाग-2) के काव्य खंड के ! रूबाइयाँ' से ली गई है। इसके शायर है, फ़िराक गोरखपुरी।
प्रस्तुत पंक्तियों में शायर ने रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार का वर्णन किया है। शायर कहते है रक्षाबंधन एक मीठा तथा पवित्र बंधन है। यह त्योहार सावन महीने में आता है। शायर कहते हैं कि रक्षाबंधन की सुबह आसमान में हल्की-हल्की बादल छायी हुई थी। उस समय राखी के लच्छे बिल्कुल बिजली की भांति ही चमक रहे थे। और रस की पुतली बहन अपने भाई की कलाई पर बिजली की तरह चमकती राखी बाँधती है।

विशेष: 1. यहाँ शायर रक्षाबंधन को मीठा तथा पवित्र बंधन बताया है।
2. 'हल्की-हल्की' यहां पुनरुक्ति अलंकार का प्रयोग किया गया हैं। 
3. यहाँ सहज-सरल भाषा का प्रयोग किया गया हैं।

8. नौरस गुंचे................तोले हैं।
उत्तर: शब्दार्थ : नौरस नया रस, गुंचे कली, नाजुक - कोमल, गिरहें गाँठ, व - - खुशबू, गुलशन बगीचा आदि।
भावार्थ: शायर कहते है, कलियाँ नया रस से सराबोर कोमल पंखड़ियों की गाँठों को इस प्रकार खोले हुए हैं, जिन्हें देख ऐसा प्रतीत होता है, कि रंगों और खुशबू से मदमस्त गुलशन में उड़ जाने के लिए अपने परों को फैला रही है।

9. तारे आँखे..............कुछ बोले हैं।
उत्तर : शब्दार्थ : झपकावें- आँखे को बन्द करना, जर्रा-जर्रा- कण-कण, शब रात, सन्नाटे खामोशी आदि
भावार्थ: शायर कहते है, रात के समय सारा जमाना सो चुका हैं, यहाँ तक तारे भी निद्रा में आँखे झपका रहे है। चारों तरफ निस्तब्धता विराजमान है। लेकिन शायर रात के उन सन्नाटों के बोलने का आभास पाते हैं। वे सबसे रात के उन सन्नाटों के बातें सुनने का आग्रा करते है।

10. हम हो तो...........रो ले हैं।
उत्तर : शब्दार्थ : इक ही एक ही, लेवे लेना आदि।
भावार्थ: शायर कहते हैं, कि उन्हें और उनकी किस्मत को एक ही काम मिला है। कभी वे अपनी किस्मत पर रो लेते हैं, और कभी किस्मत उन पर रो लेती है।

11. जो मुझको बदनाम......परदा खोले हैं। 
उत्तर : शब्दार्थ: परदा पर्दा आदि।
भावार्थ: शायर ने लोगों पर व्यंग्य किया है, जो दूसरो को बदनाम करते फिरते शायर कहते हैं, जो मुझे बदनाम कर रहे है, काश वे इतना सोच सके कि मुझे बदनामी वे की अपेक्षा वे अपना चरित्र उद्घाटन कर रहे है। वे अपने व्यक्तित्व का ही परदा खोल रहै है।

12. ये कीमत भी.........भी हो ले हैं।
उत्तर: शब्दार्थ अदा देना, बदुरुस्ता-ए-होशो-हवास विवेक के साथ सौदा - व्यापार, दीवाना पागल। भावार्थ: शायर कहते है, वे विवेक के साथ इस कीमत को भी अदा कर लेंगे। वे कहते है, कि वे प्रिय से हृदय व्यापार कर दीवाना बन गये है।

13. तेरे गम का............चुपके-चुपके रो ले हैं।
उत्तर: शब्दार्थ गम - दुःख, पासे-अदब लिहाज, खयाल ध्यान, छिपा छुपाकर, आदि।
भावार्थ: शायर कहते हैं, उन्हें कुछ अपने प्रिय के गम का लिहाज है, तो कुछ दुनिया का ध्यान भी है। वे अपने दर्द को कम करने के लिए सबसे छिपाकर चुपके-चुपके रो लेते है।

14. फ़ितरत का कायम.......जितना खो ले हैं।
उत्तर: शब्दार्थ: फ़ितरत आदत आदि जितना खो ले हैं।
भावार्थ: शायर कहते है, इंसान इश्क में जितना अपने आपको खोता है, उतना ही प्रिय को पाता है। जब तक इंसान अपने अंह को या 'स्व' की भावना को न मिटा देगा तब तक वह इश्क या प्रेम की भावना में नहीं डुब पायेगा।

15. 'आबो-ताव--- हम मोती रोले हैं।'
उत्तर : शब्दार्थ : आबो ताव अश्आर चमक-दमक के साथ, जगमग- चमकदार, बैतों शेर, रोलें पिरोना आदि।
भावार्थ: शायर कहते है कि चमक-दमक की बात मुझसे मत पूछो क्योंकि इस चमक-दमक पर तुम्हारी भी नज़र है। ये चमकदार शेरों की दमक है, या शायर ने शेरों के रूप में मोतियों की माला पिरो दी है।

16. ऐसे में तू याद आए है अंजुमने-मय में रिंदों को रात गए गर्दू पै फारिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।
उत्तर : शब्दार्थ : अंजुमने मय शराब की महफिल, रिंद- शराबी, गर्दू- आकाश, आसमान, बाबे-गुनाह पाप का अध्याय आदि।
भावार्थ: शायर कहते है, शराब की महफिल में शराबियों को प्रिय की याद आती है शायर और कहते हैं कि ऐसा लगता है रात में आसमान में फरिश्ते भी अपना पाप अध्याय खोले बैठे है।

17. सदके फ़िराक...........गजलें बोले हैं।
उत्तर : शब्दार्थ सदके नदमस्तक, ऐजाजे सुखन बेहतरीन (प्रतिष्ठित) शाद आदि।
भावार्थ: शायर फ़िराक कहते हैं कि वे बेहतरीन शायरियों पर सदके जाते है। वे का हैं, इन गजलों के परर्दों के पीछे 'मीर' की गजलों की झलक दिखाई देती है।

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