Ambar Bhag 2 Chapter-9 न्याय Question Answer'2023 | SEBA CLASS 10 | The Treasure Notes

(क) राजकुमार सिद्धार्थ और उनके सखा के बीच क्या-क्या बातें हो रही थीं ? उत्तर: राजकुमार सिद्धार्थ और उनके सखा बगीचे में टहलते हुए आपस में बातें करते..

SEBA HSLC CLASS 10 (Ambar Bhag 2) Chapter-9 न्याय

Ambar Bhag 2 Chapter-9 न्याय Question Answer'2023 | SEBA CLASS 10 | The Treasure Notes
AMBAR BHAG 2 CHAPTER- 9 Nyay

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कक्षा 10 हिंदी (अंबर भाग 2) अध्याय-9 न्याय  


 SEBA Class 10 Hindi (MIL)

AMBAR BHAG 2

Chapter-9 न्याय


पाठ्यपुस्तक संबंधित प्रश्न एवं उत्तर

बोध एवं विचार

1. सही विकल्प का चयन कीजिए: 

(क) ‘न्याय’ पाठ किस प्रकार की साहित्यिक विधा है ?

(i) कहानी               (ii) उपन्यास

(iii) नाटक               (iv) एकांकी

उत्तर: (iv) एकांकी

(ख) देवदत्त ने हंस को किस हथियार से घायल किया था ?

(i) बंदूक               (ii) तलवार

(iii) तीर                (iv) तोप

उत्तर: (iii) तीर

(ग) सिद्धार्थ कहाँ के राजकुमार थे ?

(i) वैशाली              (ii) मगध

(ii) हस्तिनापुर          (iv) कपिलवस्तु

उत्तर: (iv) कपिलवस्तु

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2.पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए:

(क) हंस को तीर से किसने घायल किया ? 

उत्तर: हंस को तीर से देवदत्त ने घायल किया।

(ख) घायल हंस किसके पास आ गिरा ?

उत्तर: घायल हंस सिद्धार्थ के पास आ गिरा।

(ग) सिद्धार्थ कौन थे ? 

उत्तर: सिद्धार्थ कपिलवस्तु के राजकुमार थे।

(घ) देवदत्त कौन था ?

उत्तर: देवदत्त सिद्धार्थ का चचेरा भाई था।

(ङ) सिद्धार्थ के पिता का नाम क्या था ? 

उत्तरः सिद्धार्थ के पिता का नाम शुद्धोधन था।

(च) ‘पक्षी का शिकार खेलना मनुष्य का धर्म है’- यह किसका कथन है ? 

उत्तर: ‘पक्षी का शिकार खेलना मनुष्य का धर्म है’- यह कथन सिद्धार्थ के सखा का है।

(छ) ‘क्षत्रिय अपना शिकार नहीं छोड़ सकता।’ यह किसका कथन है ? 

उत्तर: ‘क्षत्रिय अपना शिकार नहीं छोड़ सकता।’ यह कथन देवदत्त का है।

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3. संक्षिप्त उत्तर दीजिए:

(क) राजकुमार सिद्धार्थ और उनके सखा के बीच क्या-क्या बातें हो रही थीं ? 

उत्तर: राजकुमार सिद्धार्थ और उनके सखा बगीचे में टहलते हुए आपस में बातें करते हैं कि मौसम कितना सुहावना है, कितनी शांति है चारों ओर संध्या होने के कारण पक्षी अपने घोंसले में लौट रहे हैं, वे अपने बच्चों से मिलने को कितने आतुर हैं और गायें अपने बछड़ों को प्यार करने के लिए कितना उतावली हो रही हैं। ये सारी बातें दोनों सखा के बीच हो रही थीं।

(ख) सिद्धार्थ ने घायल हंस के साथ कैसा व्यवहार किया ? 

उत्तर: सिद्धार्थ घायल हंस के साथ दया व प्रेमपूर्वक व्यवहार करते हुए उसे अपनी गोद में उठाकर उसे सम्भालते हैं तथा उसके शरीर से तीर निकालकर उसके शरीर पर हाथ फेरते हैं। इसके पश्चात देवदत्त से उसकी रक्षा करते हुए उसके घाव की मरहम-पट्टी करते हैं। इस प्रकार सिद्धार्थ घायल हंस के ऊपर प्रेम, दया व स्नेह की अविरल धारा प्रवाहित करते हैं।

(ग) हंस पर अपना अधिकार जताने के लिए देवदत्त ने क्या तर्क दिया ? 

उत्तर: हंस पर अपना अधिकार जताने के लिए देवदत्त ने यह तर्क दिया कि यह हंस उसका है, क्योंकि उसने उसका आखेट किया है और क्षत्रिय अपना शिकार नहीं छोड़ सकता।

(घ) राजकुमार सिद्धार्थ ने हंस पर अपना अधिकार किस आधार पर जताया था ?

 उत्तर: राजकुमार सिद्धार्थ ने हंस पर अपना अधिकार जताते हुए कहा कि मैं एक क्षत्रिय हूँ और क्षत्रिय अपने शरणागत को नहीं छोड़ सकता। मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। अतः हंस पर मेरा अधिकार है।

(ङ) घायल हंस को लेकर विवाद बढ़ने पर सिद्धार्थ के सखा ने क्या सुझाव दिया ?

उत्तर: घायल हंस को लेकर विवाद बढ़ने पर सिद्धार्थ के सखा ने सुझाव देते हुए कहा कि आप दोनों ही राजकुमार हैं और ऐसे में आप दोनों के बीच के विवाद को सुलझाने के लिए महाराज के पास जाना चाहिए।

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4. सम्यक् उत्तर दीजिए:

(क) राजकुमार सिद्धार्थ और देवदत्त के विवाद का निर्णय मंत्री ने किस प्रकार किया ?

उत्तर: मंत्री घायल हंस को एक आसन पर बैठा देते हैं और दोनों राजकुमारों से उसे अपने पास बारी-बारी से बुलाने के लिए कहते हैं। सर्वप्रथम राजकुमार देवदत्त उसे आगे बढ़कर पुकारते हैं किन्तु हंस उसे देखकर काँपता है, फड़फड़ाता है। वह उसके पास आना नहीं चाहता। अब राजकुमार सिद्धार्थ की बारी आती है। और वह हंस के पास जाकर उसे प्यार से पुकारते हैं। सिद्धार्थ के कंठ से स्नेहपूरित शब्द सुनकर हंस उड़कर उनकी गोद में आ चिपकता है। अंततः मंत्री कहते हैं कि घायल हंस ने स्वयं इस विवाद का निर्णय कर दिया कि वह राजकुमार सिद्धार्थ को ही मिले। इस प्रकार मंत्री राजकुमार सिद्धार्थ और देवदत्त के बीच के विवाद का निर्णय करते हैं।

(ख) राजकुमार सिद्धार्थ और देवदत्त के चरित्र की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तरः राजकुमार सिद्धार्थ और देवदत्त दोनों के चरित्र में जमीन आसमान का अंतर दिखाई पड़ता है। सिद्धार्थ के चरित्र में दया, स्नेह, प्रेम भाव कूट-कूट कर भरा हुआ है तो वहीं दूसरी ओर देवदत्त का चरित्र सिद्धार्थ के गुण के विपरीत है। देवदत्त के चरित्र में दया के स्थान पर कठोरता, स्नेह व प्रेम के स्थान पर हिंसा, क्रूर जैसे भाव परिलक्षित होते हैं। उदाहरणस्वरूप देखा जाए तो जब घायल हंस सिद्धार्थ के पास आता है तो वह उसके प्राणों की रक्षा करने हेतु अपने चचेरे भाई देवदत्त से लड़ जाता है और वह कहता है कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। सिद्धार्थ के इस कथन से उसके दयालु, परोपकारी होने का भाव परिलक्षित होता है, तो वहीं दूसरी ओर देवदत्त सुन्दर व कोमल हंस को अपने बाणों से घायल कर देता है। यह उसके कठोर, हिंसक आदि होने की प्रवृत्ति को परिलक्षित करता है।

(ग) अगर आप राजकुमार सिद्धार्थ की जगह होते तो क्या करते ?

 उत्तर: अगर मैं राजकुमार सिद्धार्थ की जगह होता तो उस घायल हंस को बचाने के साथ-साथ उस मूक प्राणी को घायल करने के अपराध में देवदत्त को सजा दिलावाते। इसके अतिरिक्त राज्य में ऐसी न्यायिक व्यवस्था बनाने पर जोर देते जिससे आगे और निर्दोष पक्षी पर या किसी अन्य जंतु पर अत्याचार व अन्याय न हो।

(घ) मंत्री द्वारा विवाद का निर्णय होने के बाद देवदत्त की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर: मंत्री द्वारा विवाद का निर्णय होने के बाद घायल हंस राजकुमार सिद्धार्थ को सौंप दिया जाता है। सभा हर्ष और उल्लास से जय-जयकार करती है। राजकुमार सिद्धार्थ प्रेम से को छाती से लगाते हैं। देवदत्त गर्दन झुका कर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। महाराज और मंत्री हर्ष से मुस्कुराते हैं। राजकुमार सिद्धार्थ जाते हैं और हंस उनकी गोद में ऐसे दुबका है, जैसे बच्चा माँ की गोद में दुबक जाता है। इस प्रकार दया, परोपकारिता की जीत और हिंसा, अत्याचार जैसे दुर्गुणों की हार होती है, जिसे देवदत्त गर्दन झुकाकर स्वीकार करता है।

(ङ) मंत्री द्वारा विवाद का निर्णय होने के बाद सभा में क्या प्रतिक्रिया हुई ? 

उत्तरः मंत्री द्वारा विवाद का निर्णय होने के बाद सभा में हर्ष और उल्लास के कारण तालियों की गड़गड़ाहट और चारों ओर महाराज की जय-जयकार होती है। राजकुमार हंस को छाती से लगाते हैं। देवदत्त सिर झुकाये खड़े रहते हैं। महाराज और मंत्री हर्ष से मुस्कुराते हैं। राजकुमार हंस को गोद में लेकर जाते हैं और हंस उनकी गोद में ऐसे दुबका है, जैसे बच्चा माँ की गोद में दुबक जाता है।

(च) मंत्री द्वारा किए गए निर्णय को क्या आप न्यायसंगत मानते हैं ? 

उत्तर: मंत्री द्वारा किस गए निर्णय को हम न्यायसंगत मानते हैं क्योंकि सभी को अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार है, चाहे वह जीव-जन्तु हो या मनुष्य। सभी को प्रकृति ने समान अधिकार प्रदान किये हैं। अगर हम किसी के प्राणों की रक्षा नहीं कर सकते तो उसे मारने का भी अधिकार हमें नहीं है। ऐसे में मंत्री द्वारा किया गया निर्णय पूर्णतः न्यायसंगत है। घायल हंस को अपने जीवन का फैसला करने का अधिकार उसका स्वयं का है कि वह कहाँ, किसके साथ रहना चाहता है।

(छ) ‘न्याय’ शीर्षक एकांकी की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए। 

उत्तर: राजकुमार सिद्धार्थ अपने सखा के साथ बगीचे में टहल रहे होते हैं, तभी अचानक उनके समक्ष घायल हंस नीचे गिरता है। उस हंस को देवदत्त ने अपने तीर से घायल कर दिया था। राजकुमार सिद्धार्थ उस हंस को अपनी गोद में उठा लेते हैं और उसके घाव पर मरहम-पट्टी करते हैं। इसी बीच देवदत्त का वहाँ आगमन होता है और वह घायल हंस पर अपना अधिकार जताता है, परन्तु राजकुमार सिद्धार्थ घायल हंस को उसे देने से मना कर देते हैं। दोनों राजकुमारों में हंस को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है। दोनों चाहते हैं कि उनके विवाद का निर्णय राजदरबार में हो। दोनों राजकुमार राजदरबार में जाते हैं। अंततः राज दरबार का निर्णय राजकुमार सिद्धार्थ के पक्ष में होता है और हंस उन्हें दे दिया जाता है। इस प्रकार एकांकी में करुणा और प्रेम की विजय होती है।

Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-9 न्याय

5.सप्रसंग व्याख्या कीजिए:

(क) क्षत्रिय अपना आखेट नहीं छोड़ सकता। परंतु क्षत्रिय शरणागत को भी तो धोखा नहीं दे सकता।

उत्तरः प्रसंग प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘अंबर भाग-2’ के अंतर्गत ‘न्याय’ नामक शीर्षक एकांकी से लिया गया है। प्रस्तुत एकांकी के एकांकीकार ‘विष्णु प्रभाकर’ जी हैं। हिन्दी एकांकी के विकास में ‘विष्णु प्रभाकर’ का योगदान अतुलनीय है। प्रभाकर जी ने नाटक, एकांकी, उपन्यास, यात्रा संस्मरण आदि कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है, जिसमें सबसे अधिक उन्हें एकांकी लेखन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त हुई है। वे हैं। उनके कुछ प्रमुख एकांकी-संग्रह इस प्रकार हैं- ‘बारह एकांकी’, ‘प्रकाश और परछाई’, ‘इंसान’, ‘क्या वह दोषी था’ आदि।

मूलत: एकांकीकार संदर्भ: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से एकांकीकार यह समझाते हैं कि जो क्षत्रिय होते हैं वे अपना शिकार नहीं छोड़ते हैं, तो वहीं दूसरी ओर क्षत्रिय की शरण में जो आता है उसे भी वह धोखा नहीं दे सकता है। व्याख्या: प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से एकांकीकार ने क्षत्रिय धर्म को स्पष्ट करने का प्रयास किया है। प्रस्तुत एकांकी में देवदत्त द्वारा घायल किया गया।

Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-9 न्याय

हंस उड़ता हुआ सिद्धार्थ के समक्ष जा गिरता है। सिद्धार्थ उसे अपनी गोद में उस घायल हंस को उठा लेते हैं और कहते हैं कि इस अबोध प्राणी को किसने मारा। तभी उनके पास देवदत्त घायल हंस को ढूँढ़ते हुए वहाँ पहुँचते हैं और सिद्धार्थ से पूछते हैं कि तुमने मेरा शिकार देखा है? वह इसी ओर उड़ता हुआ आया है।

तभी देवदत्त की नजर सिद्धार्थ की गोद में घायल हंस पर पड़ता है। उस हंस को देख देवदत्त का ते हैं मेरा हंस तुम्हारे पास है, लाओ इसे मुझे दे दो। किन्तु सिद्धार्थ पूरी तरह से मना कर देते हैं और कहते हैं कि यह तुम्हारा है इसका क्या प्रमाण है ? देवदत्त कहते हैं मैंने इसे मारा है इसीलिए यह मेरा है। इस प्रकार घायल हंस को लेकर दोनों में विवाद बढ़ जाता है और देवदत्त क्रोध में आकर कहते हैं कि मैं क्षत्रिय हूँ तथा क्षत्रिय अपना शिकार नहीं छोड़ सकता। देवदत्त के तर्क को काटते हुए सिद्धार्थ कहते हैं मैं भी क्षत्रिय हूँ और क्षत्रिय भी अपने शरणागत को नहीं छोड़ सकता। इस तरह विवाद बढ़ता चला जाता है और दोनों विवाद को सुलझाने राजमहल पहुँचते हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों में क्षत्रिय धर्म को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

(ख) बचानेवाला मारनेवाला से बड़ा होता है ।

उत्तरः प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘ अंबर भाग-2’ के अंतर्गत ‘न्याय’ नामक शीर्षक एकांकी से लिया गया है। प्रस्तुत एकांकी के एकांकीकार ‘विष्णु प्रभाकर’ जी । हिन्दी एकांकी के विकास में ‘विष्णु प्रभाकर’ का योगदान अतुलनीय है। प्रभाकर जी ने नाटक, एकांकी, उपन्यास, यात्रा संस्मरण आदि कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है, जिसमें सबसे अधिक उन्हें एकांकी लेखन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त हुई है। वे मूलतः एकांकीकार हैं। उनके कुछ प्रमुख एकांकी-संग्रह इस प्रकार हैं- ‘बारह एकांकी’, ‘प्रकाश और परछाई’, ‘इंसान’, ‘क्या वह दोषी था’ आदि।

 संदर्भ : प्रस्तुत पंक्ति में सिद्धार्थ देवदत्त के प्रश्न का जवाब देते हुए कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। व्याख्या : प्रस्तुत पंक्ति में सिद्धार्थ राजकुमार देवदत्त के प्रश्न का जवाब देते हुए उक्त पंक्ति कहते हैं। देवदत्त बाग में उड़ रहे हंसों के झुण्ड में से एक हंस के ऊपर तीर से प्रहार करते हैं। देवदत्त के तीर से घायल हंस उड़ता हुआ सिद्धार्थ के पास जा गिरता है।

Class 10 Hindi (Ambar Bhag 2) Chapter-9 न्याय

सिद्धार्थ उसे अपनी गोद में उठा लेते हैं, तभी उस ओर उस घायल हंस की खोज करते हुए देवदत्त वहाँ आ पहुँचते हैं। देवदत्त सिद्धार्थ से उस घायल हंस के विषय में पूछते हैं और तभी देवदत्त की नजर सिद्धार्थ की गोद में बैठे घायल हंस पर पड़ती है। देवदत्त कहते हैं यह हंस मेरा है इसे मुझे दे दो।

सिद्धार्थ कहते हैं- नहीं यह तुम्हारा नहीं है और तुम्हारे पास इसका क्या प्रमाण है कि यह तुम्हारा है। देवदत्त क्रोधित हो जाते हैं और दोनों में विवाद बढ़ जाता है। विवाद का निपटारा करने के लिए देवदत्त और सिद्धार्थ राजा के पास पहुँचते हैं। देवदत्त राजा से कहते हैं इस हंस को मैंने मारा है और इसे मेरा तीर लगा है इसीलिए मुझे यह आप दिला दें। महाराज सिद्धार्थ से पूछते हैं कि क्या देवदत्त की बात सत्य है। उत्तर में सिद्धार्थ हाँ कहते हैं और साथ ही यह तर्क देते हैं कि निश्चित ही देवदत्त ने इसे मारा हैं, परन्तु मैंने उसे बचाया है। बचानेवाला मारनेवाला से बड़ा होता है।

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