ASSEB Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 [AHSEC HS 2nd Year Hindi MIL Solved Paper]

AHSEC,ASSEB Class 12 Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 with complete solutions. HS 2nd Year Hindi MIL solved paper for AHSEC exam preparation.

ASSEB Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 is essential for all HS 2nd Year students preparing for the AHSEC / ASSEB Class 12 Hindi MIL Exam 2025. This solved paper helps students understand the latest exam pattern, marking scheme, and the type of questions asked in the HS 2nd Year Hindi (MIL) Question Paper 2025.  Here you will get the complete ASSEB Class 12 Hindi MIL Solved Question Paper 2025 with accurate and exam-oriented answers.

ASSEB Class 12 Hindi MIL Solved Question Paper 2025, AHSEC Class 12 Hindi MIL Solved Question Paper 2025, HS 2nd Year Hindi Mil Solved Question Papers

ASSEB Class 12 Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025

This HS 2nd Year Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 follows the official blueprint of ASSEB/AHSEC, ensuring that students get authentic and reliable solutions.  The answers included in this ASSEB Hindi MIL Solved Paper 2025 help you revise important chapters, poems, grammar topics, and prose strictly as per the exam requirements.

ASSEB HINDI (MIL) SOLVED PAPER 2025

Full Marks: 100, Pass Marks: 30, Time: Three hours

The figures in the margin indicate full marks for the questions.

1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (5)

जो बीत गई सो बीत गई। जीवन में एक सितारा था, माना, वह बेहद प्यारा था। वह डूब गया, तो डूब गया, अंबर के आनन को देखो, कितने उसके तारे टूटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले; पर बोलो टूटे तारों पर कब अंबर शोक मनाता है।

प्रश्न : 

(क) "जीवन में एक सितारा था" — यहाँ 'सितारा' शब्द से क्या आशय है?
Answer: यहाँ 'सितारा' शब्द से आशय जीवन में खोए हुए प्रिय व्यक्ति या किसी महत्वपूर्ण अवसर से है, जो अब नहीं है।

(ख) प्रस्तुत काव्यांश द्वारा कवि ने क्या परामर्श दिया है?
Answer: कवि ने परामर्श दिया है कि बीती बातों पर दुखी न होकर आगे बढ़ना चाहिए।

(ग) अंबर को क्या सहन करना पड़ता है?
Answer: अंबर को अपने अनेक टूटे हुए तारों (सितारों) का वियोग सहन करना पड़ता है।

(घ) कवि के अनुसार अंबर टूटे तारों पर शोक मनाता है या नहीं?
Answer: कवि के अनुसार अंबर टूटे तारों पर शोक नहीं मनाता है।

(ङ) कवि ने अंबर का उदाहरण क्यों दिया है?
Answer: कवि ने अंबर का उदाहरण इसलिए दिया है क्योंकि यह दर्शाता है कि प्रकृति और ब्रह्मांड भी हर नुकसान को चुपचाप सहते हैं और हमेशा आगे बढ़ते रहते हैं, इसलिए हमें भी जीवन में आगे बढ़ना चाहिए। 

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (15)

भारतीय संविधान निर्माताओं में से एक डॉ. भीमराव अंबेडकर आधुनिक भारतीय चिंतन में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान के अधिकारी हैं। उन्होंने जीवनभर दलितों की मुक्ति एवं सामाजिक समता के लिए संघर्ष किया। उनका पूरा लेखन इसी संघर्ष और सरोकार से जुड़ा हुआ है। स्वयं दलित जाति में जन्मे डॉ. अंबेडकर को बचपन से ही जाति-आधारित उत्पीड़न-शोषण एवं अपमान से गुज़रना पड़ा था। इसीलिए विद्यालय के दिनों में जब एक अध्यापक ने उनसे पूछा कि "तुम पढ़-लिखकर क्या बनोगे?" तो बालक भीमराव ने जवाब दिया था—'मैं पढ़-लिखकर वकील बनूंगा, अछूतों के लिए नया कानून बनाऊँगा और छुआछूत को खत्म करूँगा।' डॉ. अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन इसी संकल्प के पीछे झोंक दिया। इसके लिए उन्होंने जमकर पढ़ाई की। व्यापक अध्ययन और चिंतन-मनन के बल पर उन्होंने हिन्दुस्तान के स्वाधीनता संग्राम में एक नयी अंतर्वस्तु भरने का काम किया, यह यह था कि दासता का सबसे व्यापक व गहन रूप सामाजिक दासता है और इसके उन्मूलन के बिना कोई भी स्वतन्त्रता कुछ लोगों का विशेषाधिकार रहेगी, इसलिए अधूरी होगी।

प्रश्न : 

(क) आधुनिक भारतीय चिंतन में भीमराव अंबेडकर का स्थान महत्वपूर्ण क्यों है?
Answer: डॉ. भीमराव अंबेडकर का स्थान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि उन्होंने दलितों की मुक्ति और सामाजिक समता के लिए जीवनभर संघर्ष किया और आधुनिक भारत को नई दिशा दी।

(ख) डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जीवन भर किसकी मुक्ति के लिए संघर्ष किया?
Answer: डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जीवनभर दलितों की मुक्ति और समाज में समानता स्थापित करने के लिए संघर्ष किया।

(ग) उपर्युक्त गद्यांश का एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
Answer: "डॉ. भीमराव अंबेडकर का संघर्षपूर्ण जीवन"

(घ) अध्यापक द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में बालक भीमराव ने क्या कहा?
Answer: बालक भीमराव ने कहा कि "मैं पढ़-लिखकर वकील बनूंगा, अछूतों के लिए नया कानून बनाऊँगा और छुआछूत को खत्म करूँगा।"

(ङ) अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भीमराव ने क्या किया था?
Answer: अपने संकल्प को पूरा करने के लिए भीमराव ने जमकर पढ़ाई की, व्यापक अध्ययन और चिंतन-मनन किया, और सामाजिक समानता के लिए निरंतर कार्य किया।

(च) डॉ. अंबेडकर के अनुसार किसके बिना स्वतन्त्रता अधूरी होगी?
Answer: डॉ. अंबेडकर के अनुसार सामाजिक दासता के उन्मूलन के बिना कोई भी स्वतन्त्रता अधूरी होगी।

(छ) निम्नलिखित शब्दों के अर्थ लिखिए :
Answer:
गुज़रना — अनुभव करना
जमकर — पूरी लगन से
संकल्प — दृढ़ निश्चय
दलित — समाज का शोषित या दबा हुआ वर्ग

(ज) विपरीतार्थक शब्द लिखिए :
Answer:
मुक्ति — बंधन
संघर्ष — शांति
अपमान — सम्मान
जवाब — प्रश्न

3. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए: (10)

(क) प्रदूषण (प्रस्तावना – प्रदूषण के प्रकार और कारण – हानि – प्रदूषण नियंत्रण – उपसंहार) 

Answer:

प्रदूषण

प्रस्तावना:  आज के युग में जहाँ विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव जीवन को सुख-सुविधाओं से भर दिया है, वहीं दूसरी ओर प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या ने जीवन के अस्तित्व को ही संकट में डाल दिया है। प्रदूषण का अर्थ है—प्राकृतिक संसाधनों जैसे वायु, जल, भूमि और वातावरण का दूषित हो जाना। यह समस्या केवल किसी एक देश या क्षेत्र की नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व की है।

प्रदूषण के प्रकार और कारण:  प्रदूषण के प्रमुख प्रकार हैं—वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।

  • वायु प्रदूषण कारखानों के धुएँ, वाहनों के धुएँ, कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों के जलने से होता है। इससे वातावरण में हानिकारक गैसें जैसे—कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि फैल जाती हैं।

  • जल प्रदूषण नदियों, झीलों और तालाबों में औद्योगिक कचरा, नालों का गंदा पानी और प्लास्टिक फेंकने से होता है।

  • ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकरों, कारखानों की मशीनों, वाहनों के हॉर्न और पटाखों की तेज आवाजों से होता है।

  • भूमि प्रदूषण का कारण है—रासायनिक खादों, कीटनाशकों और प्लास्टिक का अत्यधिक प्रयोग, जिससे भूमि की उपजाऊ शक्ति घटती जा रही है।

हानि:  प्रदूषण का प्रभाव मनुष्य, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों—सभी पर पड़ रहा है। वायु प्रदूषण से अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर और हृदय रोग जैसी बीमारियाँ बढ़ रही हैं। जल प्रदूषण से हैजा, टाइफाइड और पीलिया जैसे जलजनित रोग फैल रहे हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और बहरापन बढ़ रहा है। भूमि प्रदूषण से खेती की उपज घट रही है और पर्यावरण असंतुलन बढ़ रहा है।

प्रदूषण नियंत्रण:  प्रदूषण को रोकने के लिए हमें कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। सबसे पहले, वृक्षारोपण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना होगा क्योंकि वृक्ष वायु को शुद्ध करते हैं। वाहनों का सीमित उपयोग करना चाहिए और सार्वजनिक परिवहन को अपनाना चाहिए। कारखानों से निकलने वाले धुएँ और कचरे का उचित निपटान आवश्यक है। प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक लगाई जानी चाहिए और स्वच्छता अभियान को जन-आंदोलन का रूप देना होगा। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कानूनों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।

उपसंहार:  प्रदूषण मानव की असंवेदनशीलता और लालच का परिणाम है। यदि अब भी हमने प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों को नहीं समझा, तो आने वाली पीढ़ियाँ स्वच्छ हवा, पानी और हरियाली से वंचित हो जाएँगी। अतः हमें “स्वच्छ पर्यावरण – स्वस्थ जीवन” के मंत्र को अपनाकर प्रदूषण मुक्त समाज की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। यही मानवता और राष्ट्र के प्रति हमारी सच्ची जिम्मेदारी है।

(ख) राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान (प्रस्तावना – राष्ट्र निर्माण का अर्थ – राष्ट्र की माँग – राष्ट्र उत्थान में युवाओं का योगदान – उपसंहार) 

Answer

राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान

प्रस्तावना:  युवा किसी भी देश की शक्ति, आशा और भविष्य का आधार होते हैं। राष्ट्र की प्रगति और समृद्धि उसके युवाओं की सोच, कर्मठता और उत्साह पर निर्भर करती है। आज भारत विश्व की सबसे युवा आबादी वाला देश है, इसलिए राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

राष्ट्र निर्माण का अर्थ: राष्ट्र निर्माण का अर्थ है—देश को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और नैतिक रूप से सशक्त बनाना। जब नागरिक अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करते हैं और देशहित में कार्य करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में राष्ट्र का निर्माण होता है। राष्ट्र निर्माण केवल सरकार का काम नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

राष्ट्र की माँग: हर राष्ट्र अपने नागरिकों से ईमानदारी, परिश्रम, अनुशासन, निष्ठा और एकता की अपेक्षा करता है। राष्ट्र चाहता है कि उसके युवा शिक्षा, विज्ञान, कला, संस्कृति, खेल, उद्योग, राजनीति और सेवा के क्षेत्र में अपना सर्वोत्तम योगदान दें। राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब उसके युवा सही दिशा में सोचें और कार्य करें।

राष्ट्र उत्थान में युवाओं का योगदान:
युवाओं के पास असीम ऊर्जा, जोश और नई सोच होती है। वे समाज में परिवर्तन के वाहक होते हैं। स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, और नेताजी सुभाषचंद्र बोस जैसे युवाओं ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। आज के युवा तकनीकी ज्ञान, नवाचार, और उद्यमिता के माध्यम से देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
युवा समाज में फैली कुरीतियों, अंधविश्वासों और भेदभाव को समाप्त कर समानता और सद्भाव की भावना फैला सकते हैं। वे शिक्षा, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सेवा के क्षेत्रों में सक्रिय होकर देश को प्रगतिशील बना सकते हैं। यदि युवा अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएँ, तो राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित है।

उपसंहार: राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान अनमोल और अपरिहार्य है। युवा पीढ़ी यदि देशभक्ति, कर्तव्यनिष्ठा और नैतिक मूल्यों को अपनाए, तो भारत विश्व गुरु के रूप में पुनः प्रतिष्ठित हो सकता है। इसलिए प्रत्येक युवा को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने ज्ञान, श्रम और ईमानदारी से राष्ट्र के उत्थान में सक्रिय भूमिका निभाएगा। 

 युवा ही राष्ट्र की शक्ति हैं, और वही उसके उज्ज्वल भविष्य के निर्माता हैं।

(ग) मोबाइल : लाभ और हानि (प्रस्तावना – मोबाइल से लाभ या सुविधाएँ – हानियाँ – निष्कर्ष) 

Answer: 

मोबाइल : लाभ और हानि

प्रस्तावना: आज का युग तकनीकी प्रगति का युग है और मोबाइल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। मोबाइल फोन ने मानव जीवन को अत्यंत सुविधाजनक बना दिया है। पहले जहाँ लोगों को संवाद के लिए पत्रों या टेलीफोन पर निर्भर रहना पड़ता था, वहीं अब एक बटन दबाते ही हम किसी से भी संपर्क कर सकते हैं। परंतु जहाँ मोबाइल ने अनेक सुविधाएँ दी हैं, वहीं इसके दुष्प्रभाव भी उतने ही गहरे हैं।

मोबाइल से लाभ या सुविधाएँ:
मोबाइल ने संचार के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इसके माध्यम से हम दुनिया के किसी भी कोने में तुरंत बात कर सकते हैं।

  • यह शिक्षा में सहायक है — छात्र ऑनलाइन कक्षाएँ, नोट्स, वीडियो और जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

  • व्यापार और रोजगार के क्षेत्र में भी मोबाइल ने सुविधाएँ बढ़ाई हैं; ऑनलाइन लेन-देन, ईमेल, वीडियो मीटिंग और डिजिटल मार्केटिंग संभव हो सकी है।

  • मोबाइल ने मनोरंजन के साधन जैसे संगीत, फिल्में, सोशल मीडिया और गेम्स को भी हमारे हाथों में ला दिया है।

  • आपातकालीन स्थिति में यह जीवनरक्षक उपकरण की तरह कार्य करता है; किसी दुर्घटना या परेशानी में तुरंत सहायता मिल सकती है।

हानियाँ:  जहाँ लाभ हैं, वहाँ हानियाँ भी हैं। मोबाइल का अत्यधिक उपयोग मनुष्य के स्वास्थ्य और समाज दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

  • इससे आँखों की रोशनी कमजोर, सिरदर्द, और नींद की समस्या बढ़ती जा रही है।

  • लंबे समय तक मोबाइल पर रहना मानसिक तनाव और एकाग्रता में कमी का कारण बनता है।

  • विद्यार्थी पढ़ाई से भटककर सोशल मीडिया और गेम्स में अधिक समय बिताने लगे हैं।

  • साइबर अपराध, डेटा चोरी और ऑनलाइन ठगी जैसी समस्याएँ भी बढ़ी हैं।

  • इसके अतिरिक्त, मानव संबंधों में दूरी आ रही है — लोग परिवार और मित्रों से कम बात करके स्क्रीन में अधिक समय बिताते हैं।

निष्कर्ष:
मोबाइल हमारे जीवन की आवश्यक वस्तु बन चुका है, लेकिन इसका उपयोग संतुलित और सीमित होना चाहिए। यदि इसका प्रयोग सही दिशा में किया जाए तो यह ज्ञान, संपर्क और प्रगति का माध्यम है; परंतु अति-उपयोग हमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से कमजोर बना सकता है।
इसलिए कहा गया है —  "मोबाइल हमारा सेवक बने, स्वामी नहीं।"  संतुलित उपयोग ही मोबाइल के लाभ को सुरक्षित और हानियों को दूर रख सकता है।

(घ) महँगाई : समस्या और समाधान (प्रस्तावना – महँगाई का अर्थ – महँगाई एक समस्या – महँगाई के कारण – समाधान का उपाय – निष्कर्ष)

Answer

महँगाई : समस्या और समाधान

प्रस्तावना:  महँगाई आज हमारे देश की सबसे गंभीर आर्थिक समस्याओं में से एक है। यह समस्या न केवल गरीबों बल्कि मध्यमवर्गीय लोगों के जीवन को भी प्रभावित कर रही है। हर वस्तु के दाम बढ़ते जा रहे हैं — चाहे वह खाद्य सामग्री हो, वस्त्र हों या दैनिक उपयोग की चीजें। परिणामस्वरूप, आम आदमी का जीवन कठिन होता जा रहा है।

महँगाई का अर्थ:  महँगाई का अर्थ है वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य में निरंतर वृद्धि होना। जब वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं लेकिन आमदनी उसी अनुपात में नहीं बढ़ती, तब उसे महँगाई कहा जाता है। इसका सीधा असर जनता की क्रय-शक्ति पर पड़ता है।

महँगाई एक समस्या:  महँगाई से समाज में असमानता बढ़ती है। गरीब और गरीब होता जाता है जबकि अमीर अपनी स्थिति बनाए रखता है। आवश्यक वस्तुएँ आमजन की पहुँच से दूर हो जाती हैं। इससे बेरोजगारी, गरीबी और अपराध जैसी समस्याएँ बढ़ने लगती हैं। लोग अपनी आवश्यक जरूरतों को भी पूरा नहीं कर पाते, जिससे सामाजिक असंतोष और मानसिक तनाव उत्पन्न होता है।

महँगाई के कारण:
महँगाई के कई कारण हैं —

  1. जनसंख्या वृद्धि: जब जनसंख्या तेजी से बढ़ती है, तो वस्तुओं की माँग बढ़ जाती है, जिससे मूल्य बढ़ते हैं।

  2. उत्पादन में कमी: यदि वस्तुओं का उत्पादन कम होता है और माँग अधिक, तो कीमतें स्वतः बढ़ जाती हैं।

  3. भ्रष्टाचार और जमाखोरी: व्यापारी और बिचौलिए वस्तुओं को छिपाकर कृत्रिम कमी उत्पन्न करते हैं, जिससे दाम बढ़ जाते हैं।

  4. सरकारी खर्च में वृद्धि: जब सरकार अधिक खर्च करती है और बाजार में मुद्रा की मात्रा बढ़ जाती है, तो महँगाई बढ़ती है।

  5. वैश्विक कारण: अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल, गैस, और अनाज की कीमतें बढ़ने से भी देश में महँगाई बढ़ती है।

समाधान के उपाय:
महँगाई को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

  • उत्पादन बढ़ाना: कृषि और उद्योग क्षेत्र में उत्पादन बढ़ाकर वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए।

  • भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: जमाखोरी और काला बाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

  • मूल्य नियंत्रण नीति: सरकार को आवश्यक वस्तुओं पर मूल्य नियंत्रण रखना चाहिए।

  • जनसंख्या नियंत्रण: जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाना आवश्यक है ताकि माँग और आपूर्ति में संतुलन बना रहे।

  • आर्थिक नीतियों में सुधार: सरकारी खर्चों में कटौती और मुद्रा नीति को संतुलित रखना चाहिए।

निष्कर्ष:  महँगाई एक ऐसी समस्या है जो सीधे आम जनता के जीवन को प्रभावित करती है। इसे नियंत्रित करना सरकार और नागरिक — दोनों की जिम्मेदारी है। यदि उत्पादन बढ़े, भ्रष्टाचार घटे और लोग ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करें, तो महँगाई पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
अतः कहा जा सकता है — “संतुलित अर्थव्यवस्था ही सुखी समाज की आधारशिला है।”

4. अपने क्षेत्र में बच्चों के लिए एक पार्क विकसित करने के लिए नगर निगम अधिकारी को एक पत्र लिखिए। (5)

Answer:

प्रेषक:
राहुल शर्मा
वार्ड नं. 3, सिवसागर नगर
जिला – सिवसागर, असम

दिनांक: 12 नवम्बर 2025

प्रति,
नगर निगम अधिकारी,
सिवसागर नगर निगम,
सिवसागर, असम।

विषय: बच्चों के लिए एक पार्क विकसित करने हेतु निवेदन।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे क्षेत्र सिवसागर नगर के वार्ड नं. 3 में बच्चों के खेलने और मनोरंजन के लिए कोई पार्क नहीं है। बच्चे सड़कों पर खेलने को विवश हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। यदि इस क्षेत्र में एक सुन्दर, सुरक्षित और हरियाली से युक्त पार्क विकसित किया जाए, तो बच्चों को स्वस्थ वातावरण मिलेगा और नागरिकों को भी सैर-सपाटे की सुविधा प्राप्त होगी।

अतः आपसे अनुरोध है कि शीघ्र ही हमारे क्षेत्र में बच्चों के लिए एक उपयुक्त पार्क बनवाने की कृपा करें।

आपकी कृपा होगी।

आपका आज्ञाकारी,
राहुल शर्मा
वार्ड नं. 3, सिवसागर नगर
जिला – सिवसागर, असम

अथवा

प्रश्न. अपने शहर के चिकित्सालय के अस्वस्थकर वातावरण के संबंध में जिला अधिकारी को सूचित करते हुए एक पत्र लिखिए।

Answer:

प्रेषक:
अमित दास
गाँव – लखीमपुर टाउन,
पोस्ट – लखीमपुर, जिला – लखीमपुर, असम

दिनांक: 12 नवम्बर 2025

प्रति,
जिला अधिकारी,
कार्यालय – लखीमपुर,
जिला – लखीमपुर, असम।

विषय: चिकित्सालय के अस्वस्थकर वातावरण के संबंध में सूचना।

महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे शहर के सरकारी चिकित्सालय का वातावरण अत्यंत अस्वस्थकर हो गया है। अस्पताल परिसर में गंदगी फैली रहती है, कूड़े के ढेर जमा हैं, शौचालयों की सफाई नहीं होती, और चारों ओर बदबू फैल रही है। इस कारण रोगियों और आगंतुकों को बहुत परेशानी होती है तथा बीमारियाँ फैलने का भय बना रहता है।

अतः आपसे अनुरोध है कि इस चिकित्सालय की नियमित सफाई और रखरखाव के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएँ, ताकि वहाँ का वातावरण स्वच्छ और स्वास्थ्यवर्धक बन सके।

आपकी कृपा होगी।

आपका आज्ञाकारी,
अमित दास
गाँव – लखीमपुर टाउन,
जिला – लखीमपुर, असम

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (1x5=5)

(i) संपादकीय किसे कहते हैं?
Answer: समाचार पत्र या पत्रिका में प्रकाशित वह लेख जिसमें किसी महत्वपूर्ण विषय पर संपादक का विचार प्रस्तुत किया जाता है, उसे संपादकीय कहते हैं।

(ii) हिन्दी के किन्हीं दो प्रमुख समाचार पत्रों के नाम लिखिए।
Answer: (1) दैनिक भास्कर (2) अमर उजाला

(iii) किसी एक दृश्य और श्रव्य जनसंचार माध्यम का नाम लिखिए।
Answer: दूरदर्शन (टी.वी.)

(iv) संचार-माध्यम किसे कहते हैं?
Answer: वे साधन जिनके द्वारा जानकारी, विचार या संदेश एक व्यक्ति से अनेक लोगों तक पहुँचाए जाते हैं, संचार-माध्यम कहलाते हैं।

(v) रिपोर्ट की परिभाषा दीजिए।
Answer: किसी घटना, कार्य या स्थिति का तथ्यपूर्ण और क्रमबद्ध विवरण रिपोर्ट कहलाता है।

6. पुस्तक-मेला की उपयोगिता पर एक आलेख प्रस्तुत कीजिए। (5)

Answer:

पुस्तक-मेला की उपयोगिता

पुस्तक-मेला ज्ञान, साहित्य और संस्कृति का एक जीवंत उत्सव होता है। इसमें विभिन्न प्रकाशक, लेखक और पाठक एक ही मंच पर आते हैं। पुस्तक-मेला न केवल नई पुस्तकों से परिचय कराता है बल्कि पढ़ने की रुचि भी बढ़ाता है।

पुस्तक-मेला का सबसे बड़ा लाभ यह है कि पाठकों को एक ही स्थान पर अनेक विषयों की पुस्तकें उचित मूल्य पर मिल जाती हैं। इससे विद्यार्थियों, अध्यापकों और शोधार्थियों को बहुत सुविधा होती है। यहाँ लेखक अपने पाठकों से सीधे मिल सकते हैं, जिससे साहित्यिक संवाद और समझ विकसित होती है।

पुस्तक-मेला बच्चों में पढ़ने की आदत डालने का सर्वोत्तम माध्यम है। यह समाज में ज्ञान का प्रसार करता है और लोगों को शिक्षा तथा संस्कृति से जोड़ता है।

निष्कर्षतः, पुस्तक-मेला केवल पुस्तकों की बिक्री का स्थान नहीं, बल्कि ज्ञान, विचार और संस्कृति का उत्सव है। ऐसे मेलों का आयोजन समाज में बौद्धिक जागृति और पठन-पाठन की परंपरा को सशक्त बनाता है।

अथवा

अपने आँखों देखी किसी एक दुर्घटना पर एक संक्षिप विवरण लिखिए।

Answer:

मेरी आँखों देखी सड़क दुर्घटना

एक दिन मैं स्कूल से घर लौट रहा था। सड़क पार करते समय मैंने देखा कि एक मोटरसाइकिल सवार बहुत तेज गति से आ रहा था। उसी समय एक छोटा लड़का बिना चारों ओर देखे सड़क पर दौड़ पड़ा। अचानक मोटरसाइकिल उस बच्चे से टकरा गई और दोनों सड़क पर गिर पड़े।

आसपास के लोग तुरंत वहाँ पहुँच गए। किसी ने बच्चे को उठाया और किसी ने एम्बुलेंस को फोन किया। दोनों को अस्पताल ले जाया गया। सौभाग्य से बच्चे को हल्की चोटें आईं और उसकी जान बच गई।

इस घटना ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। मैंने समझा कि सड़क पर लापरवाही खतरनाक होती है और हमें हमेशा सावधानी से चलना चाहिए।

7. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (8)

(क) हम समर्थ शक्तिवान, हम एक दुर्बल को लाएँगे एक बंद कमरे में उससे पूछेंगे तो आप क्यों अपाहिज हैं? आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा देता है?

प्रश्न :

(i) प्रस्तुत काव्यांश के कवि और कविता का नाम बताइए।
Answer: कवि हैं रघुवीर सहाय और कविता का नाम है कैमरे में बंद अपाहिज।

(ii) "हम समर्थ शक्तिवान, हम एक दुर्बल को लाएँगे"–आशय स्पष्ट कीजिए।
Answer: इस पंक्ति में कवि यह दिखा रहे हैं कि मीडिया-प्लेटफार्म अपने आप को बहुत शक्तिशाली मानता है (“हम समर्थ शक्तिवान”) और वह एक कमजोर व्यक्ति को लेकर आता है (‘दुर्बल’) ताकि उसकी पीड़ा को बड़े दृश्य रूप में दिखाया जा सके और अपनी शक्ति-प्रदर्शन किया जा सके।

(iii) "आपका अपाहिजपन तो दुःख देता होगा देता है?"–के माध्यम से कवि क्या समझाना चाहता है?
Answer: यहाँ कवि यह इंगित कर रहे हैं कि उस अपाहिज व्यक्ति को समाज और मीडिया द्वारा इस तरह से प्रश्नों के अधीन किया जाता है कि उसके अपाहिज होने का व्यक्तिगत दुःख उसकी पहचान बन जाता है, और मीडिया-प्रश्नों के माध्यम से उस दुःख को दृश्य-मनोरंजन का हिस्सा बना लिया जाता है।

(iv) प्रस्तुत काव्यांश में किस पर व्यंग्य किया गया है?
Answer: इस काव्यांश में कवि ने विशेष रूप से मीडिया-संचार माध्यम (टीवी-प्रसारण, साक्षात्कार-प्रोग्राम आदि) पर व्यंग्य किया है, जो अपने दर्शकों को मनोरंजन देने के लिए कमजोर व्यक्ति की पीड़ा को उपयोग में ले लेते हैं।

अथवा

(ख) “झूमने लगे फल, रस अलौकिक, अमृत-धाराएँ फूटतीं। रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती। रस का अक्षय पात्र सदा का छोटा मेरा खेत चौकोना।” — इस काव्यांश के संदर्भ में:

(i) कवि ने किसे अलौकिक रस कहा है? 2
Answer: कवि ने अपनी कविता-रचना से उत्पन्न आनंद या साहित्यिक रस को अलौकिक कहा है, क्योंकि वह सामान्य खाद्य या भौतिक रस नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, भावनात्मक और अनंत आनंद-धारा है।

(ii) “रोपाई क्षण की, कटाई अनंतता की” — आशय स्पष्ट कीजिए। 2
Answer: इसका आशय यह है कि लेखन या रचना का बीज (विचार) केवल एक क्षण में बोया जाता है, लेकिन उसका फल (साहित्यिक मूल्य, आनंद) अनंत काल तक कटाई के रूप में मिलता रहता है; यानी एक छोटा-सा आरंभ-क्षण होने के बाद उसकी प्राप्ति या फल वर्षों-दशकों तक बनी रहती है।

(iii) कवि ने रस का अक्षय पात्र किसे कहा है और क्यों? 2
Answer: कवि ने ‘छोटा मेरा खेत चौकोना’ अर्थात् कागज़ के एक पन्ने को रस का अक्षय पात्र कहा है, क्योंकि उस पन्ने पर बोए गए विचार-बीज से जो साहित्य जन्म लेता है, वह रस कभी खत्म नहीं होता; वह स्रोत-बिना-रुकावट आनंद देता रहता है।

(iv) “लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती” — भाव स्पष्ट कीजिए। 2
Answer: इस पंक्ति का भाव यह है कि उस रस या आनंद को जितना भी बाँटा जाए, जितने पाठक-दर्शक उसे ग्रहण करें, उस रस की मात्रा में कोई कमी नहीं आती; वे निरंतर, और बढ़ती हुई उपलब्धि है—वह ख़त्म नहीं होती।

8. निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (6)

(क) प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है) बहुत काली सिल ज़रा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो। स्लेट पर या लाल खड़िया चाक मल दी हो किसी ने।

प्रश्न :

(i) प्रस्तुत काव्यांश के भाव सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए।
Answer: कवि ने प्रातःकालीन आकाश को खूबसूरत-बिम्बों के माध्यम से चित्रित किया है—“नीला शंख जैसे”, “राख से लीपा हुआ चौका (अभी गीला पड़ा है)” जैसे उपमाओं से आकाश की पवित्रता, नमी, ताजगी और शांत-उदयी स्वरूप उभरा है। यह दृश्य-सौन्दर्य पाठक के मन में भोर के सौम्य एवं अद्भुत अनुभव को जाग्रत कर देता है।

(ii) काव्यांश के शिल्पगत सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
Answer: इस काव्यांश में शिल्प-रूप से निम्न विशेषताएँ हैं:

  1. उपमा-अलंकार का प्रयोग („नीला शंख जैसे“, „राख से लीपा हुआ चौका“) दृश्य को विशद बनाता है।

  2. स्थान-उपमा-बिंबों (जैसे स्लेट, लाल खड़िया चाक) द्वारा ग्रामीण-परिवेश का सहज संचार हुआ है।

  3. कोष्ठक ( “(अभी गीला पड़ा है)” ) द्वारा समय-क्षण की तात्कालिकता और वातावरण की ताज़गी प्रस्तुत हुई है।

  4. भाषा सरल, व्यवस्थित और छंद-रहित-मुक्तक-शैली में है, जिससे दृश्य-प्रभाव अधिक प्रभावशाली हुआ है।

(iii) प्रस्तुत कविता के कवि और कविता का नामोल्लेख कीजिए।
Answer: यह कविता शमशेर बहादुर सिंह की रचना है और इसका नाम उषा है।

अथवा

(ख) कविता एक खिलना है फूलों के बहाने कविता का खिलना भला फूल क्या जाने! बाहर भीतर इस घर, उस घर बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने?

प्रश्न :

(i) प्रस्तुत काव्यांश के शिल्पगत सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए।
Answer: इस काव्यांश में सुन्दर रूपकों-उपमाओं का प्रयोग हुआ है—“कविता एक खिलना है फूलों के बहाने”, “बाहर भीतर इस घर, उस घर” जैसी पंक्तियों से कविता एवं घर-परिवार सहित व्यापक समाज का आभास मिलता है। प्रश्न-वाचक शैली (“भला फूल क्या जाने?”) के माध्यम से पाठक को सोचने पर बाध्य किया गया है। भाषा साधारण लेकिन प्रभावशाली है, और पुनरावृत्ति-प्रयोग (“बाहर भीतर … इस घर, उस घर”) संगीतमय बना हुआ है।

(ii) “बिना मुरझाए महकने के माने फूल क्या जाने?” — भाव स्पष्ट कीजिए।
Answer: इस पंक्ति का भाव यह है कि फूल अक्सर कुछ समय के लिए ही खिलते हैं और फिर मुरझा जाते हैं, पर यहाँ कवि कह रहे हैं कि कविता की तरह ‘बिना मुरझाए’ अर्थात् लगातार महकने वाले अस्तित्व को फूल नहीं जान सकते। यानी कविता-मूल्य, उसकी अमरता और व्यापक प्रभाव को केवल फूल जैसा सीमित प्राणी नहीं समझ सकता।

(iii) “कविता एक खिलना है फूलों के बहाने” — कवि का अभिप्राय बताइए।
Answer: कवि का अभिप्राय यह है कि कविता भी फूल की तरह खिलती है — वह सुंदरता, रस, भाव और अर्थ का प्रसार करती है। ‘फूलों के बहाने’ यानि जिस तरह फूल अपनी खुशबू और रंग-रूप से खिलते हैं, उसी तरह कविता शब्दों-प्रकाश-भाव के माध्यम से मन तथा समाज में खिल उठती है। लेकिन यह सीमित नहीं, बल्कि व्यापक और निरन्तर है।

9. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (3x2=6)

(i) “भृत कहो, अवधूत कहो, राजपूत कहो, जोलहा कहो कोऊ। काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ॥” – प्रस्तुत काव्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए।
Answer: यहाँ तुलसीदास कह रहे हैं कि लोग उन्हें कोई भी नाम दे सकते हैं — धूर्त, अवधूत, राजपूत या जुलाहा — उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वे किसी की बेटी के लिए अपने बेटे का विवाह नहीं करेंगे, और न ही किसी की जाति को बिगाड़ने का काम करेंगे। उनका ध्यान इंसानियत, भक्ति और नैतिकता पर है, न कि जात-पांत या सामाजिक रेटिंग पर।

(ii) “बच्चे प्रत्याशा में होंगे, नीड़ों से झाँक रहे होंगे” – आशय स्पष्ट कीजिए।
Answer: यह पंक्तियाँ हरिवंशराय बच्चन की कविता ‘दिन जल्दी‑जल्दी ढलता है!’ से हैं। यहाँ कवि ने पक्षियों के घोंसले और बच्चों के प्रतीक्षा में झाँकने के बिम्ब द्वारा यह दिखाया है कि जैसे बच्चा उजाले या किसी आने-वाले का इंतजार करता है, वैसे ही जीवन में आशा-उत्साह, आने-वाले कल का प्रतीक हैं। समय तेज गति से चल रहा है और बच्चे-प्रतिक्षा इस गति में जीवन की गतिशीलता को इंगित करती है।

(iii) “तुम्हें भूल जाने की दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या” – कवि ने व्यक्तिगत संदर्भ में किस स्थिति को अमावस्या कहा है?
Answer: कवि गजानन माधव मुक्तिबोध ने यहाँ उस अवस्था को ‘अमावस्या’ कहा है जिसमें उन्होंने अपने प्रिय या संबोध्य “तुम” को पूरी तरह भूल जाने की इच्छा व्यक्त की है। ‘दक्षिण ध्रुवी अंधकार’ उस गहरे, निराश, अंधकारमय अवस्था का प्रतीक है जहाँ प्रकाश नहीं पहुँचता। कवि कह रहा है कि वे उस अंधकार में नहाना चाहते हैं ताकि स्मृति-बंध से छुटकारा पाएं।

10. निम्नलिखित में से किसी गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (8)

(क) उनकी फिल्में भावनाओं पर टिकी हुई हैं, बुद्धि पर नहीं। 'मेट्रोपोलिस', 'दी कैबिनेट ऑफ डॉक्टर कैलगारी', 'द रोवंथ सील', 'लास्ट ईयर इन मारिएनबाद', 'द सैक्रिफ़ाइस' जैसी फिल्में दर्शक से एक उच्चतर अहसास की माँग करती हैं। चैपलिन का चमत्कार यही है कि उनकी फिल्मों को पागलखाने के मरीजों, विक्षिप्त भविष्यद् लोगों से लेकर आइंस्टाइन जैसे महान प्रतिभा वाले व्यक्ति तक कहीं एक स्वर और कहीं सूक्ष्मतम रसास्वादन के साथ देख सकते हैं। चैपलिन ने सिर्फ़ फिल्म कला को लोकतांत्रिक बनाया बल्कि दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को भी तोड़ा। यह अकारण नहीं है कि जो भी व्यक्ति, समूह या तंत्र गैर बराबरी नहीं चाहता वह अन्य संस्थाओं के अलावा चैपलिन की फिल्मों पर भी हमला करता है। चैपलिन भीड़ का वह बच्चा है जो इशारे से बतला देता है कि राजा भी उतना ही नंगा है जितना मैं हूँ और भीड़ हँस देती है। कोई भी शासक या तंत्र जनता का अपने ऊपर हँसना पसंद नहीं करता।

प्रश्न :

 (i) “चार्ली चैपलिन की फिल्में बुद्धि पर नहीं भावनाओं पर टिकी हैं” — आशय स्पष्ट कीजिए।
Answer: इसका आशय यह है कि चैपलिन की फिल्में बौद्धिक विश्लेषण या जटिल विचारों के बजाय सीधे सरल भावनाओं-मानवता-हास्य-करुणा को जगाती हैं। वे दर्शकों को तर्कशक्ति से नहीं, बल्कि हृदय-अनुभूति से जोड़ती हैं।

(ii) चार्ली चैपलिन की फिल्मों के दर्शक कौन थे?
Answer: चैपलिन की फिल्में आम जनता-मजदूर-श्रमिक-निचले-वर्ग तक पहुँचती थीं क्योंकि उन्होंने अपनी-अपनी सामाजिक स्थिति, हास्य-दुर्दशा, संघर्ष-भावना वहाँ देखा; उस-लिए उनका दर्शक-वर्ग विस्तृत और वर्ग-वर्ण-बंधनों से मुक्त था।

(iii) चार्ली चैपलिन ने दर्शकों की वर्ग तथा वर्ण-व्यवस्था को कैसे तोड़ा?
Answer: चैपलिन ने ऐसी कहानियाँ और पात्र बनाए जो उच्च-वर्ग, शासक-प्रभु या प्रतिष्ठित वर्ग को भी सीधे हँसी-विनोद और व्यंग्य के माध्यम से सामने लाते थे — इस तरह “मैं” और “वे” के बीच की खाई मिटती गई। इसने दर्शकों को यह अनुभव कराया कि उनकी पीड़ा-हास्य-भावना तकनीकी/उच्च-वर्ग तक सीमित नहीं, सबमें समान है।

(iv) चार्ली चैपलिन की फिल्में शासकों को क्यों नापसंद हैं?
Answer: क्योंकि चैपलिन की फिल्मों में शासकों, तंत्रों या प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों की प्रताड़ना, अहं-घाटना और मूर्खतापूर्ण व्यवहार को चुटीले-हास्य में उजागर किया जाता है। इस प्रकार उनका वर्चस्व-भ्रम टूटता है, इसलिए सत्ता-प्रकार के लोग उसे सहर्ष नहीं स्वीकारते।

अथवा

(ख) उसने चीनू कालीन को उलट दिया। टोकरी खाली की और नमक की पुड़िया उठाकर टोकरी की तह में रख दी। एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसने अपनी किसी प्यारी को कब्र की गहराई में उतार दिया हो। कुछ देर उकडूँ बैठी वह पुड़िया को ताकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान और हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सहृदय गुज़र जाता था। इस ज़माने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी।

प्रश्न : (i) सफिया ने नमक को चीनू टोकरी की तह में रखने का फैसला क्यों किया?
Answer: सफिया ने नमक की पुड़िया को टोकरी की तह में इस लिए रखा क्योंकि उसे डर था कि चीनू उसे देख ले और शायद निकाल कर बेच दे या कीमती नमक बेमतलब बिखर जाए — इसलिए सुरक्षित रूप से नीचे-तह में रखना उचित समझा।

(ii) सफिया को चीनूओं के नीचे दबा हुआ नमक कैसा महसूस हुआ?
Answer: उसे नमक ऐसा महसूस हुआ जैसे उसने अपनी किसी प्यारी को कब्र की गहराई में उतार दिया हो — अर्थात्- वह नमक-पुड़िया उसके लिए बहुत कीमती थी और उसे दबा देने में उसे गहरी पीड़ा-भरी संवेदना हुई।

(iii) सफिया को बचपन में सुनी शहजादों की कहानियाँ क्यों याद आने लगीं?
Answer: क्योंकि वह उस स्थिति में थी जहाँ उसने अपने लिए कीमती नमक को छिपाया था और उस छिपने-और-उत्सुकता की स्थिति में वह उन पुरानी कहानियों को याद कर रही थी जिसमें शहजादा अपनी रानी और हीरा छिपाता है — उस तरह ही वह भी अपने ‘हीरे’-नमक को छिपाने की कोशिश कर रही थी।

(iv) सफिया ने शहजादे के करनामों को याद करके आह क्यों भरी?
Answer: उसने उन कहानियों में शहजादे की तरह होती वीरता-साहस और भय-भूतों-राक्षसों के सामने खड़े होने की कथा याद की और फिर जागरूक हुई कि इस ज़माने में उसकी अकेली तरकीब-नमक छिपाना ही है—उसने यह समझा कि वास्तविक संघर्ष-और-हासिल-का समय कठिन है और इस समझ के साथ वह आह भर उठी।

11. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (3x4=12)

(क) शिरीष को देख लेखक को आजकल के नेताओं की क्यों याद आती है?
Answer: क्योंकि लेखक ने देखा है कि शिरीष के पुराने फल डटे रहते हैं और समय के अनुरूप आने वाली नई पौध से बाहर नहीं होते, ठीक वैसे ही आजकल के कई नेता भी समय के रुख को नहीं समझते और नई पीढ़ी को स्थान न देकर काल के प्रभाव से अवगत न होकर अपने अधिकार में चिपके रहते हैं।

(ख) बाज़ार का जादू चढ़ने और उतरने पर मनुष्य पर क्या-क्या असर पड़ता है?
Answer: जब बाज़ार का जादू चढ़ता है, तब मनुष्य उपभोगवाद, दिखावे और भौतिक सफलता की ओर अग्रसर होता है, आत्मसन्तुष्टि कम और लालसा अधिक होती है; जबकि बाज़ार उतरने पर भय, अस्थिरता, आर्थिक दबाव और आत्मग्लानि जैसे भाव उत्पन्न होते हैं — इन परिवर्तनशीलता के कारण मनुष्य का जीवन संतुलन खो सकता है।

(ग) इंदर सेना के संबंध में लेखक का क्या दृष्टिकोण है?
Answer:- इंदर सैना उन किशोरों का झुंड होता था जो भगवान इंद्र से वर्षा माँगने के लिए गली-गली घूमकर लोगों से पानी माँगते थे। वे लोगों से मिले पानी में नहाते थे, उछलते-कूदते थे तथा कीचड़ में लथपथ होकर मेघों से पानी माँगते थे।

(घ) “हृदय की कोमलता को बचाने के लिए व्यवहार की कठोरता भी कभी-कभी ज़रूरी हो जाती है” — ‘शिरीष के फूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer: पाठ में लेखक बताते हैं कि शिरीष का फूल अत्यंत क़ोमल है, लेकिन इसके फल बहुत दृढ़ और कठोर होते हैं – इस प्रकार यह प्रतीक है कि कोमल हृदय होना आवश्यक है, पर उसे बनाए रखने के लिए व्यवहार में दृढ़ता, स्थिति-परिवर्तन को समझना और समय-अनुसार कठोर निर्णय लेना भी ज़रूरी है।

(ङ) “मन खाली नहीं रहना चाहिए, इसका मतलब यह नहीं है कि वह मन बंद रहना चाहिए” — लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?
Answer: लेखक का मत है कि मन में उन्मुक्तता, उत्साह और नवीनता बनी रहनी चाहिए; लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि मन बंद-ढका-और निष्क्रिय ही रहे — बल्कि खुला, संवेदनशील हुआ चाहिए, समय-का रुख समझने वाला और परिवर्तन-अनुकूल होना चाहिए। ऐसे मन में खालीपन नहीं बल्कि सक्रियता होनी चाहिए।

पूरक पुस्तक (वितान : भाग-2)

12. निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (2x2=4)

(क) अपने परिवार के साथ यशोधर बाबू के संबंध कैसे थे?
Answer: यशोधर बाबू अपने परिवार के साथ भावनात्मक रूप से दूर थे। वे बच्चों और पत्नी के आधुनिक व्यवहार को स्वीकार नहीं कर पाते थे, इसलिए परिवार में उनका अलगाव बढ़ गया था।

(ख) यशोधर बाबू किससे प्रभावित थे?
Answer: वे किशन दा से गहराई से प्रभावित थे — किशन दा ने उन्हें नौकरी दिलाई, जीवन-शैली सिखाई, और उनके आदर्श बन गए।

(ग) “सिन्धु सभ्यता साधन-सम्पन्न थी, पर उसमें भव्यता का आडंबर नहीं था।” — स्पष्ट कीजिए।
Answer: इस वाक्य का अर्थ है कि सिन्धु सभ्यता में भौतिक साधनों की प्रचुरता थी (जैसे नगर-योजना, नालियों आदि), लेकिन दिखावे-वाद, भड़कीले शो-शौकत और दिखावा-भव्यता का अस्तित्व नहीं था — वहाँ सरलता, संयम और समृद्धि-सहज तरीके से थी।

13. किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (3x2=6)

(क) “नगर नियोजन की मुअनजो-दड़ो अनूठी मिसाल है।” — ‘अतीत में दबे पाँव’ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
Answer: पाठ में वर्णित मुअनजो‑दड़ो (मोहनजोदड़ो) में करीब पाँच हजार वर्ष पूर्व की नगर-योजना इतनी व्यवस्थित थी कि उसकी सड़के समकोण पर कटती थीं, हर मकान के पास जल निकासी की पक्की नालियाँ थीं तथा कुएँ व स्नानागारों की व्यवस्था थी। इसलिए इसे एक अद्भुत और अनूठी मिसाल कहा गया है।

(ख) “अजायबघर में प्रदर्शित चीज़ों में औजार तो हैं, पर हथियार कोई नहीं।” — आशय स्पष्ट कीजिए।
Answer: इसका आशय यह है कि उस प्राचीन सभ्यता में खेती-किसानी, व्यापार, निर्माण जैसे उत्पादक कार्यों के लिए पर्याप्त ऊँचे-स्तरीय औज़ार मिले हैं, लेकिन युद्ध-हथियारों की कमी यह संकेत देती है कि वे समाज आक्रामक नहीं बल्कि शांत-सहकारी जीवन को प्राथमिकता देते थे।

(ग) “यशोधर बाबू की पत्नी समय के साथ आगे बढ़ने में सफल हो गयी थी, लेकिन यशोधर बाबू असफल रह गए।” — ऐसा क्यों?
Answer: यशोधर बाबू बचपन से ही परंपरावादी विचारों में बँधे हुए थे, अपने आदर्श किशनदा से गहरे प्रभावित थे और बदलते समय के अनुरूप अपने आप को अनुकूलित नहीं कर पाए। जबकि उनकी पत्नी, बच्चों के आधुनिक दृष्टिकोण से प्रभावित होकर बदलती जीवनशैली को स्वीकार कर सकीं और समय के अनुरूप जीवन बिताने में सक्षम रहीं।

14. "सिन्धु घाटी सभ्यता मूलतः खेतिहर सभ्यता थी।"—स्पष्ट कीजिए। (5)

 Answer:  सिन्धु घाटी सभ्यता का प्रमुख आधार कृषि थी, इसलिए इसे मूलतः खेतिहर सभ्यता कहा गया है। उत्खननों में गेहूँ, जौ, तिल, सरसों तथा चने जैसे अनाजों के दाने पाए गए, जो यह प्रमाणित करते हैं कि लोग बड़े पैमाने पर खेती करते थे। यहाँ हल के प्रयोग, खेतों की जुताई के निशान और अनाज भंडारण हेतु बड़े कोठार भी मिले हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि कृषि-उत्पादन सुव्यवस्थित और विकसित था।
सिन्धु निवासियों ने पशुपालन को भी कृषि का सहायक माना—गाय, बैल, भेड़, बकरी के अवशेष इसके प्रमाण हैं। यद्यपि व्यापार और हस्तशिल्प का विकास हुआ था, फिर भी उनका मुख्य जीवन-आधार खेती ही थी।  इस प्रकार कृषि-उत्पादन, अन्न-भंडारण और पशुपालन के प्रमाण यह सिद्ध करते हैं कि सिन्धु घाटी सभ्यता मूलतः खेतिहर सभ्यता थी।

अथवा

'सिल्वर वैडिंग' पाठ के आधार पर यशोधर बाबू की चारित्रिक विशेषताएँ।
Answer:  यशोधर बाबू एक अनुशासित, सरल, परंपरानिष्ठ और आत्मसम्मानी व्यक्ति थे। वे अपने गुरु किशन दा से प्रभावित होकर सादगी, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को जीवन-आदर्श मानते थे। यशोधर बाबू आधुनिकता से दूर रहते थे और खर्चों में अनावश्यक दिखावे के सख्त विरोधी थे।
वे परिवार के प्रति संवेदनशील थे, पर समय के अनुरूप स्वयं को ढाल नहीं पाए, जिसके कारण वे पत्नी और बच्चों से भावनात्मक दूरी महसूस करने लगे। उनकी पत्नी और बच्चे आधुनिक वातावरण में ढल गए, पर यशोधर बाबू पुराने संस्कारों से बँधे रहे।
उनका स्वभाव आत्म-चिंतनपूर्ण था; वे भीतर से कोमल हृदय के थे, पर जीवन में कठोरता को भी आवश्यक मानते थे।  इस प्रकार, यशोधर बाबू का व्यक्तित्व आदर्शवाद, सादगी, अनुशासन और भावनात्मक संकोच से निर्मित एक गम्भीर और गरिमामय चरित्र है।

-00000-

Why This ASSEB Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 Is Useful

  • Covers complete HS 2nd Year Hindi MIL Question Paper 2025

  • Solutions follow ASSEB marking scheme

  • Helps in last-minute revision

  • Useful for practice and self-evaluation

  • Keywords placed naturally throughout for better search visibility

This AHSEC/ASSEB Class 12 Hindi MIL Solved Question Paper 2025 is formatted to match the actual board exam structure so students can practice effectively.

Download / Use for Exam Preparation

Students appearing in AHSEC Class 12 Exam 2025 must practice this ASSEB Hindi (MIL) Solved Question Paper 2025 to score higher marks. It is ideal for revision, chapter-wise preparation, and understanding question patterns.

About the author

Team Treasure Notes
We're here to make learning easier for you! If you have any questions or need clarification, feel free to drop a comment we’d love to help!

Post a Comment